भारत को आधयात्मिक रुप से दुनिया मे सम्मान् से देखा जाता है परन्तु विज्ञान की दृष्टि से ऐसा पिछड़ा देश माना जाता है मानो इस विषय में उसने कुछ किया ही ना हो. इसका कारन रहा है. लगातार बर्बर मुस्लिम आक्रमण और अंग्रेजी राज्य के रूप में इसाई संक्रमण, जिसमे कई वैज्ञानिक ग्रन्थ नष्ट हो गए तथा स्वयं को हीन मानने वाली आत्मघाती प्रवृत्ति खुद भारतीयों में विकसित हो गई. चर्चो द्वारा षड़यंत्र के तहत दी गई शिक्षा में पले हमारे राष्ट्रनिर्माताओं ने भी कभी इस बारे में प्रयास ही नहीं किया. भारत के ग्रंथों को काल्पनिक मानकर उनमे झाकने का प्रयास ही नहीं किया.
इस प्रदर्शनी में भारत के उन प्राचीन ग्रंथों एवं नवीन वेज्ञानिक शोधों के प्रकाश में भारत की वैज्ञानिक महानता का दिग्दर्शन कराया गया है. गणित, भूगोल, रसायन, भौतिक, जीव, वनस्पति, वास्तु, नक्षत्र, शिक्षा आदि अनेक वैज्ञानिक विधाओं को प्रमाण सहित प्रस्तुत किया गया है. अंग्रेजी में बनी यह प्रदर्शनी सर्वप्रथम त्रिनिदाद के दीवाली मेले में सन २००१ में लगाईं गई थी. इसके हिन्दी रूपांतरण को २००१ में मुंबई, २००३ में आगरा, उज्जैन के सिंहस्थ २००४, इन्दौर २००७ तथा अन्य कई बार संघ के शिविरों में लगाया गया. इस चित्रमाला को ‘इसलिए मेरा भारत महान’ के नाम से पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया है.
From the spiritual point of view, Bharat is respected all over the world, but is seen as backwards in science, like it hasn’t done anything.
The reason for this has been the destruction of Hindu epistemes, institutions, and knowledge traditions during the Mughal and British rule of India, that also suppressed our history and civilizational understanding. Under a devious plot by churches, our nation builders raised in English education never tried to reverse course. They considered our scriptures as mythical but didn’t study them deeply.
In this exhibition, the scientific greatness of those ancient scriptures is presented in the light of new scientific research. Scientific forms of mathematics, geography, chemistry, physics, biology, botany, architecture, astrophysics, and education are presented by providing scientific proofs. Made in English, this exhibition was first presented in Diwali Mela of Trinidad in 2001. Its Hindi version was displayed in many camps, such as in Mumbai in 2001, Agra in 2003, In Sinhwasth Mela of Ujjain in 2004, in Indore in 2007, and also in some camps of RSS. This panoramic exhibition was also published in the form of the book ‘Mera Bharat Mahan’.
101, B-wing, Versha co-operative housing society, Tilak Nagar, Chembur, Mumbai(M.H.)-India. Pin-400089